एप्पल न्यूज़, शिमला
BBMB, शानन और चंडीगढ़ में हिस्सेदारी और अपने हक की आवाज न उठाने को लेकर पूर्व सांसद डॉ राजन सुशांत ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों और सरकारों को कटघरे में खड़ा कर लिया। उन्होंने सभी को पंगु और मूर्ख तक कह डाला। उनका कहना है कि जब आप अपना हक इन राज्यों से नहीं मांग सके और अपनी परिसम्पत्तियों को नहीं ले सके तो फिर कटोरा लेकर केंद्र से लोन क्यों मांग रहे हैं। उन्होंने हिमाचल सरकार को 15 अप्रैल तक का समय दिया है अन्यथा वह संघर्ष शुरू कर देंगे।
शिमला में एक प्रेसवार्ता में पूर्व सांसद डॉ राजन सुशांत ने कहा कि एक नवम्बर 1966 को पंजाब का पुनर्गठन किया और हिमाचल प्रदेश के गठन हुआ। इसका पुनर्गठन भाषा और भौगोलिक आधार पर किया गया था।
उन्होंने आज पूरी जिम्मेवारी के साथ खेद प्रकट किया कि न तो हिमाचल की जनता जाएगी न राजनैतिक दल जागे। परिसम्पत्तियों के बंटवारे को लेकर पंजाब एक्ट की स्टडी की जा रही है और 2011 के सुप्रीमकोर्ट के फैसले को भी पढा।
हिमाचल में कोई भी मुख्यमंत्री सक्षम नहीं रहे। न लड़े न माग सही से रखी। और पंगु व कायर बनकर मुंह ताकते रहे। हर वर्ग शोषण का शिकार बनता रहा। कोई भी जो मुख्यमंत्री बना सिर्फ 5 साल गद्दी पर बैठने के लिए लगा रहा।
कर्मचारियों पर जब वेतन का संकट आता है तो कटोरा लेकर केंद्र के पास गए।
आज तक हिमाचल में कोई भी मुख्यमंत्री सक्षम नहीं रहा सिर्फ केंद्र के गुलाम बन रहे। आज हिमाचल के कर्ज 75 हजार के पार हो चुका है। OPS के लिए पैसा नहीं और 1400 करोड़ कर्ज लेने के लिए इनकार कर दिया। पता नहीं खुद मूर्ख बने हैं या मूर्ख बना रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि जब जयराम ठाकुर कुछ माह बाद गद्दी छोड़ेंगे तो हिमाचल कराह रहा होगा और जनता उन्हें कोसेगी।
जल जंगल जमीन का शोषण हुआ है संवर्धन नहीं। उन्होंने दुख के साथ कहा कि 20 हजार मेगावाट बिजली नहीं 30 हजार मेगावाट बिजली दोहन की क्षमता है। 10 हजार मेगावाट के समझौते हो गए हैं जबकि खुद सरकार केवल 500 मेगावाट बिजली तैयार कर रही है।
SJVNL के चेयरमैन जनता को मूर्ख बनाकर मुख्यमंत्री को हर एक दो माह में करोड़ों देता है। जैसे बड़ा कमाऊ पूत हो। पहाड़ खोखले कर दिए, पेयजल सुख गया लेकिन जनता को कुछ मिल नहीं रहा है।
घर के मालिक हिमाचल के लोग हैं और सब लुट रहे हैं कोई जाग नहीं रहा है।
आज 75 हजार करोड़ कर्ज के नीचे आने की जरूरत नहीं है। BBMB एक्ट में कहीं नहीं लिखा था कि 7.19% शेयर मिलेगा। उसमें एज एन्ड व्हेन आधार पर प्रोजेक्ट और संसाधन मिलते है। फिर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान हमारे प्रोजेक्ट के मालिक कैसे मिल गए। जबकि इस पर हिमाचल के ही हक था।
2 साल के भीतर टेकओवर करने थे लेकिन कोई एग्रीमेंट नहीं किया। टाइम बार केस में प्रेशर डालकर अग्रीमेंट किए जो गलत था। ये सब तत्कालीन सरकारों की गलत धारणा से हुआ है। 7.19% में भी हिमाचल को आज तक हिस्सा नहीं मिला।
केंद्र को जो भी प्रस्ताव भेजे सब रद्दी की टोकरी में डाले गए।
हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गलत आंकड़े दिए और 2142 करोड़ मांगे जो 11 साल बाद भी नहीं मिला। जो आज तक 4200 करोड़ बन चुका है। जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनादर है।
प्रदेश की सरकारें अपना हक नहीं मांग रही लेकिन कटोरा लेकर केंद्र के पास जा रहे हैं कर्ज लेने। उन्होंने कहा कि रीढ़ की हड्डी में थोड़ा ग्लूकोज लगा लो अन्यथा हमें साथ ले जाओ प्रधानमंत्री से मिलेंगे और पैसा मांगेंगे।
डॉ सुशांत ने कहा कि आज BBMB में हमारा हक 15 हजार करोड़ बनाता है। बिजली बोर्ड के अधिकारी क्या कर रहे हैं नहीं पता। शानन प्रोजेक्ट का अग्रीमेंट अंग्रेजों के साथ हुआ था वो चले गए और मालिक 75 साल बाद भी पंजाब बना है। करीब 5 हजार करोड़ का एरियर तो इसी प्रोजेक्ट का बनता है। रिसोर्स मोबिलाइजेशन के तहत अपने पैरों पर खड़ा हो।
2008 की बजट स्पीच में भी मैन यही आंकड़े दिए थे लेकिन सरकारें नहीं मानी।
चंडीगढ़ किसका है।
देष आजाद हुआ तो पैरवी पंजाब में पेप्सू जोड़ा गया। किनारे पर पंजाब हरियाणा की राजधानी बनाई गई। जो अभी तक UT है। इसे न पंजाब को दें न हरियाणा को इसे UT ही रहने दिया जाए। दोनों राज्यों के केंद्र में राजधानियां बनाई जाए। हिमाचल सरकार ने कभी भी चंडीगढ़ की मांग नहीं की। जब तक चंडीगढ़ UT है 7.19% हिस्सा हिमाचल को मिलना चाहिए। हक के हिसाब से हिमाचल को PGI सहित सीमा से सटे 6 सेक्टर दिए जाएं।
BBMB में भी हर राज्य का एक एक सदस्य होना चाहिए। लेकिन कभी भी हिमाचल का सदस्य नहीं बनाया गया जो गलत है। बंटवारा है तो फिर विधानसभा और सचिवालय में भी हिमाचल को अपना हिस्सा दिया जाए। पहाड़ी क्षेत्र के नाते पठानकोट और धारकलां ब्लॉक, तलवाड़ा, दतारपुर, नंगल, आनंदपुर क्षेत्र, और सोलन ऊना के साथ लगते क्षेत्र का पहाड़ी क्षेत्र हिमाचल को मिलने चाहिए थे और हम लेंगे।
उन्होंने कहा कि 1966 से लेकर अब तक 7.19% कर्मचारियों का एरियर हिमाचल को दें जिसमें यहां के हजारों युवाओं को रोजगार मिलने था।
उन्होंने घोषणा की कि चुनाव आएंगे हम लड़ेंगे। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि चंडीगढ़ में हिस्सा के लिए एक सप्ताह के भीतर स्पेशल हाउस बुलाया जाए और अपना हक मांगे, आंकड़ें हम देंगे। सभी राजनीतिक दल बैठक करें और राजनीति से ऊपर उठकर हिमाचल के हितों का संरक्षण कर केंद्र को प्रस्ताव भेजें।
यदि 15 अप्रैल तक हिमाचल सरकार ने इस पर संज्ञान नहीं लिया तो हिमाचल के अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू किया जाएगा।