एप्पल न्यूज़, शिमला
कृषि और बागवानी क्षेत्र की देश में सबसे बड़ी संस्था आईसीएआर की ओर से आयोजित अपने 12वें राष्ट्रीय केवीके सम्मेलन में इस बार प्राकृतिक खेती और टिकाउ खेती को मुख्य बिंदू के रूप में रखा गया है।
डाॅ वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में 1 व 2 जून को आयोजित किए जा रहे इस सम्मेलन में देशभर के 731 केवीके, कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों और आईसीएआर के 1200 से अधिक वैज्ञानिक जुटेंगे। राष्ट्रीय स्तर के इतने बड़े सम्मेलन की मेजबानी करने का हिमाचल को पहली बार मौका मिल रहा है।
इसके अलावा यह पहला मौका है, जब एक सम्मेलन में चार केंद्रीय मंत्रियों समेत दो राज्यों के राज्यपाल, आईसीएआर के महानिदेशक और 10 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति शामिल होंगे।
इस सम्मेलन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। इसके अलावा इसमें केंद्रीय मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री शोभा करांदलाजे, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, हिमाचल के राज्यपाल विश्वनाथ अर्लेकर, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, जल शक्ति एवं बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर, आईसीएआर के महानिदेशक डाॅ टी महापात्रा, उप महानिदेशक कृषि विस्तार डाॅ एक के सिंह समेत कई और गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहेंगे।
दो दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में प्राकृतिक खेती विषय पर गहन मंथन किया जाएगा। इसके अलावा प्राकृतिक खेती की वैज्ञानिक वैधता को कैसे शोध के माध्यम से किस तरह आगे बढ़ाया जाएगा। इसको लेकर भी रणनीति तय की जाएगी।
सम्मेलन के दौरान देश के विभिन्न राज्यों से आए वैज्ञानिक और किसान नौणी विश्वविद्यालय में लगे प्राकृतिक खेती के माॅडल और सोलन जिला के सफलतापूर्वक प्राकृतिक खेती करेन वाले किसानों के खेतों का भ्रमण कर उनसे उनके अनुभव जानेंगे।
कृषि सचिव राकेश कंवर ने कहा कि प्राकृतिक खेती पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी है और ऐसे में आईसीएआर के राष्ट्रीय सम्मेलन में प्राकृतिक खेती विषय इतने सारे वैज्ञानिकों द्वारा प्राकृतिक खेती पर चर्चा करना और इसके बाद हमारे सफल किसानों के खेतों का भ्रमण करना हमारे लिए गर्व का विषय है।
नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि यह हमारे लिए बड़े ही गर्व की बात है कृषि-बागवानी क्षेत्र की सबसे बड़ी संस्था की ओर से हमें इतने बड़े सम्मेलन की जिम्मेवारी दी गई है।
सम्मेलन के लिए विश्वविद्यालय की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हम वैज्ञानिकों को प्राकृतिक खेती के मॉडल दिखाएंगे और इस दौरान वैज्ञानिकों को प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के साथ संवाद भी रखा गया है ताकि वैज्ञानिक प्राकृतिक खेती किसानों से उनके अनुभव जान सके।